वैज्ञानिकों ने पुराने कपड़ों और कालीन से कंक्रीट की मजबूती बढ़ा दी, दरारें कम हुईं; अब और टिकाऊ भी
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वैज्ञानिकों ने पुराने कपड़ों और कालीन से कंक्रीट की मजबूती बढ़ा दी, दरारें कम हुईं; अब और टिकाऊ भी

Textile Fibre-reinforced Concrete: ऑस्ट्रेलिया की RMIT यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पुराने कपड़ों और कालीनों से कंक्रीट को कहीं अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाने में सफलता हासिल की है.

वैज्ञानिकों ने पुराने कपड़ों और कालीन से कंक्रीट की मजबूती बढ़ा दी, दरारें कम हुईं; अब और टिकाऊ भी

Science News in Hindi: पुराने कपड़ों को रिसाइकिल करना मुश्किल होता है. अलग-अलग तरह के कपड़ों को अलग-अलग कंडीशन में रिसाइकिल करना पड़ता है. जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में, पुराने कपड़े बड़े शहरों में कूड़े के पहाड़ों का हिस्सा बन जाते हैं. हर साल हजारों टन टेक्सटाइल कचरे के रूप में फेंका जाता है. कुछ ऑस्ट्रेलियाई इंजीनियर्स को लगता है कि कचरे में फेंकने के बजाय, पुराने कपड़ों का इस्तेमाल कंक्रीट बनाने में किया जा सकता है. रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स की एक टीम पुराने कपड़ों और कालीनों के रेशों को कंक्रीट मिक्स में मिलाने के तरीकों का टेस्ट कर रही है.

टीम के एक सदस्य, डॉ. चमिला गुनासेकरा ने कॉसमॉस से बातचीत में कहा, 'यह टेक्सटाइल फाइबर से बना रिइंफोर्सड कंक्रीट है.' टीम ने पाया है कि उनके कंक्रीट में शुरुआती दरारें 30% तक कम होंगी. साथ ही यह अधिक टिकाऊ भी होगा.

कैसे सीमेंट को मजबूत बनाते हैं कपड़ों के रेशे?

गुनासेकरा के मुताबि‍क, 'जब हम कंक्रीट बिछाते हैं, तो शायद एक या दो घंटे बाद पहली दरार शुरू होती है. पानी भाप बनकर उड़ जाता है, फिर कंक्रीट सिकुड़ना शुरू हो जाता है. हम इसे श्रिंकेज क्रैकिंग कहते हैं.' स्टील के रेशों से यह क्रैकिंग कुछ हद तक रोकी जा सकती है, लेकिन ये रेशे अब भी बेहद कठोर होते हैं. गुनासेकरा ने कहा, 'रबड़ बैंड की तरह, टेक्सटाइल फाइबर बेहद लचीले होते हैं.'

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कालीन के रेशों से बने कंक्रीट के सैंपल (फोटो: RMIT University)

उन्होंने समझाया, 'सीमेंट मैट्रिक्स में रेशे लगभग समान रूप से फैले होते हैं. जब कोई दरार पड़ती हैं तो रेशे उसके इर्द-गिर्द जमा हो जाते हैं और दबाव को अवशोषित कर लेते हैं.' सूखते हुए कंक्रीट का दबाव अवशोषित करके वे दरारों को बड़ा होने से रोक सकते हैं.

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कपड़े से रेशे निकालकर उन्हें ऑटोमेटिक कटर से 12 मिमी लंबाई में काटा जाता है. रिसर्चर्स के मुताबिक, दरारों को रोकने के लिए सबसे सही स्थितियां इसी लंबाई के रेशों से बनती हैं. टीम ने कपड़ों में अक्सर इस्तेमाल किये जाने वाले कई सिंथेटिक फाइबर जैसे पॉलिएस्टर, नायलॉन और पॉलीप्रोपाइलीन का टेस्ट किया है.

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